28-03-21 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “अव्यक्त-बापदादा” रिवाइज: 27-11-87 मधुबन बेहद के वैरागी ही सच्चे राजऋषि आज बापदादा सर्व राजऋषियों की दरबार को देख रहे हैं। सारे कल्प में राजाओं की दरबार अनेक बार लगती है लेकिन यह राजऋषियों की दरबार इस संगमयुग पर ही लगती है। राजा भी हो और ऋषि भी हो। यह विशेषता इस … Continue reading 28-03-21
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